सदस्यों का परिचय
● गृहनगर : छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) महाराष्ट्र
● शिक्षा : विज्ञान स्नातक (भौतिकी) और कला स्नातकोत्तर (इतिहास), पुणे विश्वविद्यालय
● संपर्क विवरण : + 91-9765000133। vijayarahatkar[at]gmail[dot]com
कैरियर का अवलोकन
श्रीमती विजया रहाटकर ने 30 वर्षों से अधिक समय भारतीय राजनीति और सामाजिक कार्यों को समर्पित किया है और एक नगर निगम पार्षद के रूप में जमीनी स्तर पर अपनी यात्रा शुरू की है। वह सामाजिक और आर्थिक विकास तथा महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास का पुरजोर समर्थन करती हैं। उन्होंने समाज कल्याण संगठनों में विभिन्न चुनावी कार्यालयों और नेतृत्व के पदों को ग्रहण किया है।
● महाराष्ट्र महिला आयोग की अध्यक्षः महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग (2016 से 2020) की अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने महाराष्ट्र में महिलाओं के सामाजिक, वित्तीय, घरेलू और सुरक्षा मुद्दों का समाधान करने के लिए विभिन्न पहलों का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व से नीतिगत बदलाव आए और पूरे राज्य में महिलाओं के लिए संस्थागत समर्थन सुदृढ़ हुआ। अध्यक्ष के रूप में, प्रभावशाली अभियानों के अन्तर्गत उनके नेतृत्व से महिलाओं के मुद्दों के संबंध में जागरूकता बढ़ी और पूरे महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए कानूनी और सामाजिक सुरक्षा सुदृढ़ हुई। उनके कार्यकाल की कुछ मुख्य उपलब्धियाँ नीचे दिए अनुसार हैं –
● "सक्षम" और "कॉन्फिडेंस वॉक" की पहल के माध्यम से एसिड हमले की उत्तरजीवित्ताओं का
पुनर्वास।
● कम से कम 10,000 प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के साथ-साथ निगमित क्षेत्र के सैकड़ों कार्यालयों
में पॉश के अनुपालन को लागू करने के लिए 'प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण' के माध्यम से पॉश का प्रवर्तन।
● "निर्मल वारी" - विभिन्न मामलों में महिलाओं की सहायता करने के लिए आयोग के अधिकार
और अभिगम के संबंध में जागरूकता अभियान का आयोजन जिसमें शिकायत दर्ज करना, सफाई
और स्वच्छता शामिल हैं।
● "प्रज्जवला" - ग्रामीण और शहरी महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से वित्तीय
सशक्तिकरण और समर्थन की पहल के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया।
● "सुहिता" - महिलाओं के लिए 24x7 हेल्पलाइन नंबर शुरू किया गया।
● महिला तस्करी - रोकथाम और बचाव - "महिला और बाल तस्करी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन" के
माध्यम से महिला तस्करी में रोकथाम और बचाव विषय पर कई विचार-विमर्श आयोजित किए
गए और नीतिगत संस्तुतियाँ की गई।
● विधायी सुधारों के लिए नीतिगत संस्तुतियाँ - उपयुक्त सरकार को नीतिगत संस्तुतियाँ प्रस्तुत करने
के लिए विशेषज्ञों और गैर सरकारी संगठनों जैसे कई हित समूहों के साथ चर्चा के माध्यम से
नीतिगत संस्तुतियों का मसौदा तैयार करने के प्रयासों का नेतृत्व किया। नीतिगत संस्तुतियों के
विषयों में पॉक्सो, अनिवासी भारतीय (एनआरआई) विवाह प्रकोष्ठ, तीन तलाक और मानव
तस्करी की रोकथाम आदि शामिल थे।
● डिजिटल साक्षरता - डिजिटल साक्षरता के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए 200 से अधिक
तहसीलों में अभियान का आयोजन किया गया।
● महिलाओं के मामलों के समाधान और हस्तक्षेप में सहायता करने वाली "महिला आयोग अपल्या
दारी" जैसी विभिन्न पहलों के साथ महाराष्ट्र के सुदूर भागों में सभी महिलाओं द्वारा आयोग से
सुगमता से संपर्क करने के लिए सतत प्रयास शुरू किए गए।
● संघर्षपूर्ण अनिवासी भारतीय (एनआरआई) विवाह प्रकोष्ठ - राष्ट्रीय सम्मेलन में समर्पित चैनलों और
विचार-विमर्श के माध्यम से घरेलू और पारिवारिक मोर्चे पर उत्पीड़न का सामना करने वाली अन्य
देशों में भारतीय विवाहित महिलाओं को बचाने और उनका समर्थन करने में सहायता की गई।
● "साद" - आयोग की आधिकारिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया गया जिसमें विभिन्न सूचनात्मक
विषय शामिल थे।
● न्याय प्रदान करना - आयोग में दर्ज और लंबित हजारों मामलों और शिकायतों का निपटान तथा
समय पर न्याय सुनिश्चित किया गया। प्रौद्योगिकी सहायता प्राप्त विभिन्न मंचों और प्रत्येक द्वार तक
जागरूकता अभियानों के माध्यम से आयोग से संपर्क करने और शिकायतें दर्ज करने के बेहतर
तरीके विकसित किए गए।
● सहयोग - गैर सरकारी संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विभिन्न सहयोगों के साथ महिलाओं
के कल्याण के लिए विस्तारित प्रयास किए गए।
● औरंगाबाद की महापौर (अब छत्रपति संभाजीनगर) : श्रीमती विजया रहाटकर ने महापौर (2007 से 2010) के रूप में अपने गृहनगर को बदलने के लिए अथक परिश्रम किया। उन्होंने शहर के लिए अधिक राजस्व और रोजगार उत्पन्न करने के लिए औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) में अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों(एमएनसी) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों के निवेश को सक्रिय रूप से सुनिश्चित करते हुए अवसंरचना, स्वास्थ्य सेवा, स्लम विकास और शिक्षा में सुधार किया। उन्होंने विभिन्न पहलुओं में महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयास भी किए। उन्होंने शहर में सांस्कृतिक और पर्यटन को मान्यता प्रदान की तथा छत्रपति संभाजीनगर के महापौर के रूप में राजस्व और कर वसूली में वृद्धि की जिससे नगर के विकास में सहायता मिली।
● वह महापौर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय महापौर परिषद की उपाध्यक्ष और महाराष्ट्र महापौर परिषद की अध्यक्ष भी रही।
● वह 2000 से 2010 तक औरंगाबाद नगर निगम की निर्वाचित सदस्य थी और वह क्षेत्रीय समिति के अध्यक्ष आदि जैसे अन्य पदों पर रही।
- वह अखिल भारतीय स्थानीय स्वशासन संस्थान की सलाहकार निदेशक भी रही।
- अध्यक्ष और संयोजक, आनंदी एंपावर फाउंडेशन - उनका गैर-लाभकारी संगठन मराठवाड़ा क्षेत्र में लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण पर केंद्रित है तथा आत्महत्या करने वाले किसानों की जीवित महिला परिवार के सदस्यों का समर्थन करता है और छोटी महिला उद्यमियों को बाज़ार प्रदान करता है एवं मुफ्त व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का संचालन करता है और मुफ्त में व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
पुरस्कार और मान्यताएँ-
● राष्ट्रीय विधि दिवस पुरस्कार 2017 – यह पुरस्कार महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के
लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायविदों की परिषद द्वारा दिया जाता है।
● सावित्रीबाई फुले पुरस्कार – यह पुरस्कार अखिल भारतीय मराठी साहित्य परिषद द्वारा सांस्कृतिक
और साहित्यिक कार्यों के संरक्षण के लिए दिया जाता है।
लिखित पुस्तकों का विवरण –
● "अग्निशिखा ढाडाडु दिया" - महिला भ्रूण हत्या (वर्ष 2011) के महत्वपूर्ण मुद्दे पर आधारित पुस्तक
● "औरंगाबाद लीडिंग टू वाइड रोड्स" - औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) शहर की नगर योजना
और विकास पर आधारित पुस्तक। इस पुस्तक को महाराष्ट्र सरकार द्वारा केस स्टडी और संदर्भ पुस्तक
के रूप में मान्यता दी गई है। (वर्ष 2012)
● "मैजिक ऑफ ब्लू फ्लेम" - उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की वास्तविक कहानियों पर आधारित।
● "विधि लिखित" - पॉक्सो, घरेलू हिंसा से संबंधित कानून, पारिवारिक कानून, अनिवासी भारतीय
(एनआरआई) विवाह, गर्भाधान पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी), कार्यस्थल पर
महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, तीन तलाक, कानून और
कामकाजी महिलाओं के लिए योजनाएँ विषय को शामिल करने वाली पुस्तकों की संपादित श्रृंखला।
● "कानून आपके लिए" - भारतीय महिलाओं से संबंधित कानूनों पर आधारित।
सुश्री डेलिना खोंगडुप का जन्म और पालन-पोषण मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के पिनुरस्ला ब्लॉक के लिंडेम गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा डीसीएलपी (सरकारी) स्कूल लिंडेम से और 10वीं तथा 10+2 की शिक्षा क्रमशः सीएचएमई सोसायटी, विद्या प्रबोधिनी प्रशाला, नासिक एवं भोंसला मिलिट्री कॉलेज, नासिक, महाराष्ट्र से प्राप्त की। उन्होंने स्नातक की उपाधि डेक्कन एजुकेशन सोसायटी, डीईएस लॉ कॉलेज, पुणे विश्वविद्यालय से प्राप्त की तथा स्नातकोत्तर की उपाधि न्यू लॉ कॉलेज, पुणे, भारती विद्यापीठ, डीम्ड यूनिवर्सिटी, पुणे से प्राप्त की। सुश्री खोंगडुप ने मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के लिंडेम गाँव में नव-उन्नत उच्च प्राथमिक विद्यालय, जिंगकिएंग क्सीयर में प्रधानाध्यापिका का पद संभाला। उन्होंने स्वदेशी खासी जनजातीय समुदाय के अधिकारों एवं परम्परागत प्रथाओं की रक्षा करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची के अन्तर्गत स्थापित खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद (केएचएडीसी) सहित मेघालय की अदालतों में वकालत की। वह विधिक सहायता अधिवक्ता (एलएसी) के रूप में मेघालय राज्य विधिक सेवा प्राधिकारण (एमएसएलएसए) की एक सक्रिय सदस्य है और उनको पिनुरस्ला और मावफलांग सी एंड आर डी ब्लॉक के लिए एमएसएलएसए के अन्तर्गत संरक्षण अधिकारी (पीओ) के रूप में नियुक्त किया गया था। सुश्री खोंगडुप एक प्रशिक्षक एवं प्रशिक्षित विशेषज्ञ व्यक्ति के रूप में मेघालय प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान (एमएटीआई) से भी संबद्ध हैं। इसके अतिरिक्त, वे एसोर्फी एजुकेशन सोसाइटी, पिनुरस्ला की संस्थापक सदस्य एवं सहायक निदेशक भी हैं तथा उन्होंने क्षेत्र में पहली एवं एकमात्र विज्ञान अकादमी स्थापित की थी।
सामाजिक कार्य
सुश्री खोंगडुप नागरिकों के मूलभूत मानवाधिकारों की एक सशक्त अधिवक्ता हैं और वे अपने गाँव में एक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) संचालित करती हैं जिससे कि लोगों को सूचना प्रौद्योगिकी एवं कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की सेवाएँ सुगमता से उपलब्ध हो सके। वे पिनुरस्ला ब्लॉक में कई महिला संगठनों की एक निःशुल्क विधिक सलाहकार हैं और स्वदेशी आस्था संगठन सेंग खासी की एक सक्रिय सदस्य हैं जिसका उद्देश्य खासी लोगों की पारंपरिक प्रथाओं की रक्षा करना तथा उनका प्रचार एवं उनकी सुरक्षा करना है। इसके अतिरिक्त, वे सेवा भारती मेघालय एवं विद्या भारती मेघालय जैसे विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी संबद्ध हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) द्वारा आयोजित “जनजातीय अनुसंधान - पहचान, अधिकार एवं विकास” विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला में भी भाग लिया।
शिक्षा, अपने अधिकारों एवं अवसरों के संबंध में जागरूकता का अभाव तथा निर्धनता के कारण महिलाएँ पिछड़ गई हैं और भेदभाव का शिकार हो चुकी हैं। सुश्री खोंगडुप का अंततोगत्वा उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों एवं मूलभूत मानवाधिकारों के संबंध में जागरूक करके उनको सशक्त बनाना है। उनका यह मानना है कि महिलाओं को अपने संवैधानिक, सामाजिक तथा विधिक अधिकारों के संबंध में अवश्य जागरूक होना चाहिए।
महिलाओं में कौशल विकास को बढ़ावा देने एवं उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए सुश्री खोंगडुप ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के अन्तर्गत शिलांग स्थित शुभम चैरिटेबल एसोसिएशन नामक एनजीओ के सहयोग से पिनुरस्ला में महिलाओं के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र प्रारंभ किया। यह केंद्र महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, कंप्यूटर, हस्तशिल्प, बांस की कारीगरी एवं अन्य कईं विधाओं में भी प्रशिक्षित करता है। महामारी के दौरान, इस प्रशिक्षण केंद्र में सिले गए मास्क समाज के विभिन्न वर्गों को निःशुल्क वितरित किए गए। अब यह केंद्र जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) मेघालय के साथ सहभागिता में संचालित किया जा रहा है।
सुश्री खोंगडुप ग्रामीण स्तर पर विभिन्न गैर सरकारी संगठनों एवं महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से संबद्ध हैं। वे ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह, तलाक, भरण-पोषण तथा जन्म एवं मृत्यु प्रमाण-पत्रों के पंजीकरण से संबंधित मामलों के संबंध में महिलाओं एवं अन्य लोगों को निःशुल्क विधिक परामर्श प्रदान करती हैं। इसके अतिरिक्त, वे एक ऐसे गाँव में स्कूल संचालित करती हैं, जहाँ पहले कोई शैक्षणिक सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
सुश्री खोंगडुप ने हिंदू, नियाम खासी, नियाम ट्रे एवं सोंगसारेक (स्वदेशी धर्म के अनुयायी) को अल्पसंख्यकों के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है जिससे कि वे ईसाई बहुल राज्य मेघालय में अल्पसंख्यकों के लिए उपलब्ध विभिन्न लाभों एवं नीतियों का लाभ उठा सकें।
उनकी इच्छा समाज में वंचित एवं कमज़ोर लोगों का उत्थान करना है। वे ज़मीनी स्तर से लेकर उच्च स्तर तक कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं तथा लोगों को सशक्त बनाने, उनको शिक्षा प्रदान करने एवं उनके अधिकारों के लिए लड़ने तथा खड़े होने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। सुश्री खोंगडुप ने 1 मार्च, 2023 को राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य का कार्यभार संभाला।
श्रीमती ममता कुमारी जी ने 10 मार्च 2023 को राष्ट्रीय महिला आयोग के सदस्य के रूप में पद्-भार ग्रहण किया। इन्हें विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का एक लम्बा अनुभव है। श्री मति ममता बाल्यकाल से ही आधी आबादी की आजादी और अधिकार की लड़ाई पड़ाव-दर पड़ाव लड़ रही हैं। यहाँ तक कि अपनी शिक्षा के लिए इन्होंने अपने परिवार में भी संघर्ष किया। झारखण्ड के संथाल परगना प्रमण्डल में गोड्डा जिला के पोडैयाहाट प्रखण्ड के पोड़ैयाहाट गाँव में जन्म लेने वाली यह लड़की अन्धविश्वास, गरीबी और अशिक्षा के विरुद्ध जूझती रही है। समाज शास्त्र में स्नातक इस संघर्षशील छात्रा ने अपनी सारी शिक्षा सरकारी शिक्षण संस्थानों में प्राप्त की। यह 9वीं कक्षा से ही ट्यूशन पढ़ा कर अपनी शिक्षा प्राप्त कर स्वावलम्बन एक नई कहानी लिखी। इन्हें कभी नई किताब नसीब नहीं हुई। एक भरे-पूरे परिवार की इस शिक्षित लड़की ने अन्तरजातीय शादी कर समाज में समरसता लाने की कोशिश की। आगे यह समरसता मंच से ही जुड़ गई। एक शिक्षिका के रूप में इन्होंने कई संस्थानों में अपना योगदान दिया। अपती कोशिशों की दम पर इन्होंने वीणा भारती आवासीय विद्यालय और जनार्दन भाई शिक्षण संस्थान की स्थापना कर गरीब, आदिवासी, एवं पिछड़े परिवार के बच्चे और महिलाओं को शिक्षण क्षेत्र में आकर्षित कर उन्हें आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए निरन्तर प्रयास किया
श्रीमती ममता जी को पर्यावरण संरक्षण से अति-प्यार होने के कारण इनके अपने क्षेत्र में लगाये गये करीब तीस हजार फलदार वृक्ष इसके पवित्र प्रमाण हैं। आयोग की सदस्यता ग्रहण करने के पूर्व ये एक प्रतिष्ठित सरकारी शिक्षिका थी। कोरोना काल में दूरस्थ प्रवासियों को उनकी मंजिल तक पहुँचाने का अप्रतिम कार्य भी इन्होंने सहज भाव से किया। बाढ़ पीड़ितों के लिए संघर्ष तो इनकी आदत बन गई है। क्षेत्रीय समाज कोविड काल में इनके द्वारा किये गये कार्यों की प्रशंसा अन्तर्मन से करता है। प्रभावित लोगों की चिकित्सा व्यवस्था, उनके लिये खाद्य सामग्री की का इन्तजाम इन्होंने जी-आन से की।
आयोग की एक महती सदस्या के रूप में इन्होंने विभिन्न राज्यों की महिलाओं की स्थिति एवं परिस्थिति का अध्ययन किया। राष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों में, जेल के अन्दर, अस्पतालों और वृद्धा आश्रम में रह रही महिलाओं की पीड़ा को समझते हुए इन्होंने एक विस्तृत रिपोर्ट आयोग को समर्पित किया है। दहेज हत्या, लिंग-भेद, एसिड अटैक, बलात्कार, यौन-प्रताड़ना जैसी दुखद घटनाओं पर आये आवेदनों - शिकायतों का अध्ययन कर उन्हें न्याय दिलाने के मार्गो में सहयोगी बन कर साथ दिया। जन सुनवाई कर भी ये समस्याओं का त्वरित निष्पादन करने का सफल प्रयास करती हैं।
महिलाओं को पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक या फिर उससे भी आगे बढ़ाने के लिए यह रास्ते में आयी वाधाओं का अध्ययन कर आयोग के समक्ष प्रस्तुत करने का असाध्य कार्य करती हैं। आज भी वृक्षारोपण, जैविकी खाद उत्पादन का प्रशिक्षण एवं आवश्यकता एवं और समयानुसार नेतृत्व प्रदान कर समाज के समतावर्धन का कार्य निरतंर करने का प्रयास करती हैं। महिलाओं को सबल बनाना, इन्हें आवश्यक कानूनी सलाह देना और उनकी आवाज बन कर उन्हें शक्ति प्रदान करना ही इनका परम लक्ष्य है।